मंगलवार, 19 मार्च 2013

‘‘हवस की चाहत में’’



 कपिल व वीरेन्द्र आवारागर्द व रसिक मिजाज इंसान थे। शराब और शबाब इनकी मुख्य कमजोरी थी दोनों जो भी पैसा कमाते, उसका अधिकांश हिस्सा अपनी अय्याशी पर खर्च कर डालते थे। समान विचार और एक ही कालोनी में रहने की वजह से उनमें बेहद अच्छी दोस्ती थी। एक दिन शाम दोनों अपनी हवस की पूर्ति के लिए किसी बाजारू औरत की तलाश में साथ निकले। कैंट रेलवे स्टेशन सहित उन सभी संभावित स्थानों, जहां उनकी नजर में बाजारू औरतें खड़ी मिल सकती थी, कई चक्कर लगा लिये, लेकिन किसी पेशेवर औरत से उनकी मुलाकात नहीं हुई। वह निराश होकर वापस लौट रहे थे कि रास्ते में एक जगह उन्हें राजू दिख गया। राजू से दोनों अच्छी तरह परिचित थे, क्योंकि राजू उनके लिए कभी-कभार चाय वगैरह ला देता, तो वे उसे एक-दो रूपया दे दिया करते थे। राजू पर नजर पड़ते ही कपिल की आँखों में अचानक चमक आ गयी, ‘‘क्यों, आज इसे ले चलूं?’’ उसने चेहरे पर कुटिल मुस्कान लाते हुए वीरेन्द्र से पूछा।
वीरेन्द्र अधीर हो उठा, ‘‘यार! पूछ क्यों रहे हो, चल इसे ही ले चलें।’’
कपिल बोला, ‘‘हमारी तो पहले से ही इस पर नजर थी।’’
फिर कपिल ने राजू को आवाज दी, तो वह उनके पास आ गया। उस दिन वीरेन्द्र के घर पर गाजर का हलवा बना था। अतः वीरेन्द्र ने थोड़ा हलवा अपने पास रख लिया था। राजू को हलवा दिखाते हुए वीरेन्द्र ने पूछा, ‘‘राजू बेटे हलवा खायेगा?’’
‘‘हां अंकल!’’ मुस्कुराते हुए राजू ने तपाक से कहा।
‘‘तो चल मेरे साथ। हलवा के साथ तुझे पेठा भी खिलाउंगा।’’ इस बार कपिल ने कहा।
राजू उनकी बातों में आ गया और वह उनके साथ चल पड़ा। कपिल जहां नौकरी करता था, तीनों वहां आ गयें। फिर कपिल ने दफ्तर के सामने कुछ लकडि़यां एकत्र कर आग जला दी और वहां वीरेन्द्र व राजू के साथ बैठ गया। वीरेन्द्र ने अपने पास एक प्लास्टिक की पन्नी में थोड़ा गाजर का जो हलवा रखा था, वह राजू   को खाने को दे दिया। राजू ने जब हलवा खा लिया, तो वीरेन्द्र ने पूछा, ‘‘बेटा! मजा आया।’’
‘‘हां अंकल! बेहद स्वादिष्ट था।’’ तोतली आवाज में राजू ने कहा।
‘‘तू केवल हमारी बात मान, हम तुझे पैसा भी देंगे और पेठा भी खिलाएंगे।’’ कपिल ने कहा।
‘‘ठीक है अंकल।’’ राजू बोला।
काफी समय तक तीनों आग के पास बैठे रहे। जब कपिल को लगा, अब आँफिस का कोई स्टाफ नही आएगा, तो वह राजू को साथ लेकर प्रथम मंजिल स्थित अपने कमरे में पहुंचा। वीरेन्द्र भी साथ था। कमरे में कपिल पहले से ही देशी शराब का आद्धा रख लिया था। दोनों ने राजू को बातों में लगाकर जल्दी-जल्दी सारी शराब अपने हलक के नीचे उतार लिया। चूँकि राजू दिमाग से कमजोर था, इसलिए वह उनकी मंशा से अनजान बना रहा। कपिल ने राजू को पूरी तरह नंगा कर दिया था, पर राजू ने कोई विरोध नहीं किया। फिर कपिल ने राजू को नीचे लिटा दिया और उसके साथ उसने अप्राकृतिक संबंध बनाने की कोशिश करने लगे, लेकिन राजू दर्द से चीख पड़ा। इस पर कपिल घबराकर हट गया।
वीरेन्द्र ने प्यार भरे स्वर में राजू से कहा, ‘‘बेटा कुछ नहीं होगा…… अरे यह तो एक खेल है, राजू तुम्हें यह खेल सीखना जरूरी है।’’ वीरेन्द्र ने बहला-फुसलाकर उसे चुप करा दिया।
थोड़ी देर बाद वीरेन्द्र ने राजू के साथ अप्राकृतिक संबंध बनाने की चेष्टा की, तो वह असहाय दर्द से पुनः चीख उठा तब घबराकर कपिल ने उसका मुंह जोर से दबा दिया, ताकि उसकी चीख बाहर न जा सके।
अब कपिल व वीरेन्द्र को यह भय हो गया कि राजू उनकी इस करतूत की पोल खोल सकता है। फिर उन दोनों ने इशारों ही इशारों में उसे खत्म कर देने का निर्णय ले लिया, फिर कपिल ने पूरी ताकत से राजू का गला दबा दिया। वहीं वीरेन्द ने राजू का अंडकोश पकड़कर जोर से दबाते हुए उसे खींच लिया। कुछ ही पल में राजू की मौत हो गयी।
वारदात को अंजाम देने के बाद पुलिस को गुमराह करने के लिए उसी रात राजू को उसी की टीशर्ट की मदद  से गले में फंदा लगाकर अस्पताल की दीवार के साथ बने पीछे वाले कमरे की खिड़की की ग्रिल से लटका दिया तथा उसके बाकी कपड़े वहीं पास फेंककर दोनों सावधानी पूर्वक वहां से भाग निकले। कपिल व वीरेन्द्र की सोच थी, कि पुलिस को यह मामला आत्महत्या का लगेगा और पुलिस उन तक कभी नहीं पहुंच पायेगी। लेकिन उनकी यह सोच गलत साबित हुई। कड़ी मशक्कत के बाद पुलिस ने इस मामले का पर्दाफास कर दोनों को जेल भेज दिया।

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